Parle-G भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्कुट है। 27 साल से यह बिस्किट एक ही प्राइस ₹4 में बिक रहा है। Parle-G के बिस्किट का एक पैकेट 1994 में 4 रुपए का था। तब देश में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार थी, पेट्रोल 16 रुपए और डीजल 8 रुपए था। अब पेट्रोल-डीजल 100 रुपए पार कर गये है। तब भी पारले-जी का दाम 5 रुपये ही है? और यह 5 रुपए भी 2021 में बढ़ा है यानी 1994 से लेकर 2021 तक 27 साल तक पारले-जी ने अपने product के दाम नहीं बढ़ाए यानी 27 साल पहले जो बच्चा गोद में था उस बच्चे की गोद में भी बच्चा आ गया है, लेकिन Parle-G के दाम वहीं के वहीं है और अगर आप गलती से यह सोच रहे हो कि अरे यार price नहीं बढ़ा रहा तो बेचारा क्या ही कमा रहा होगा ? कहां सेल बढ़ रही होगी? पारले-जी 2013 में 5000 करोड़ की सेल करने वाला पहला FMCG ब्रांड बना और आज 2023 में 16000 करोड़ की सेल पार कर चुका है।
Parle-G ने यह सब कर लिया बिना रेट बढ़ाए और यह कोई स्टार्टअप वाला सौदा नहीं है कि कहीं और से पैसा दे रहा होगा या कंपनी घाटे में होगी ? कंपनी Full प्रॉफिट में है और अपनी जेब में पैसा कमा के घर ले जा रही है। 2011 में Nelson ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि Parle-G दुनिया का सबसे बिकने वाला ब्रांड है। यह बिस्किट कितना बिकता है? आपको इसका छोटा सा उदाहरण देते है। Parle G हर महीने में 100 करोड़ से ज़्यादा packet बनाता है। यानी एक दिन के 3 करोड़ 33 लाख या 13 लाख पैकेट प्रति घंटा यानी की 23,000 पैकेट प्रति मिनट बनाता है।
क्या है Parle-G कंपनी की हिस्ट्री
पारले ग्रुप की शुरुआत 1929 में हुई थी। इसकी शुरुआत मोहन दयाल चौहान की फैमली ने शुरू किया था। उन्होंने 1929 में पहला प्रोडक्ट बनाया ऑरेंज कैंडी बनाया था। 1939 में पहली बार उन्होंने ‘Parle Glucose’ नाम का बिस्कुट बनाया था। तब उनकी फैक्ट्री में केवल 12 लोग काम करते थे वो भी उनके फैमिली मेंबर्स ही थे। लेकिन आज उनकी कंपनी में 50,000 एम्पलाई काम करते हैं।
पारले फैमिली 1939 से 1947 तक ब्रिटिश आर्मी के लिए एक्सक्लूसिवली बिस्कुट बनाते रहे। उस टाइम वे आम आदमी के लिए कोई बिस्किट नहीं बनाते थे। उस समय भारत एक गरीब देश था और बिस्कुट जैसा प्रोडक्ट केवल अमीर आदमी खाता था। पारले फैमिली उस समय स्वदेशी आंदोलन से बहुत ज्यादा प्रेरित थे और उन्होंने आम आदमी के लिए कम पैसों में अच्छा टेस्ट देने वाला बिस्कुट बनाना शुरू कर दिया। शुरुआत में ही उनके बिस्कुट की सेल अच्छी खासी होने लग गई।
कंपनी का नाम Parle कैसे पड़ा ?
पारले फैमिली ने जो बिस्कुट की फैक्ट्री लगाई थी उस जगह का नाम Vile Parle था, तो आसपास के लोग उन बिस्कुट को पार्ले के बिस्किट बोलने लग गए इसके बाद आगे जाकर कंपनी ने इसका नाम Parle Glucose बिस्कुट रख दिया।
कंपनी ने बाद में नाम Parle-G क्यों किया ?
दरअसल कंपनी का नाम Parle था और बिस्कुट का नाम Glucose था। अब इंडिया में क्या होता है कि अगर एक चीज चल जाती है तो उसके पीछे पूरी दुनिया कॉपी पेस्ट-कॉपी पेस्ट करने लग जाती है जो चीज मस्त चल रही है उसकी कॉपी बनने लगती है। बाजार में ग्लूकोज बिस्कुट के नाम से बाढ़ आ गई। ब्रिटानिया कंपनी भी ग्लूकोज के नाम से बिस्कुट बनाने लग गई। एम्प्रो कंपनी भी ग्लूकोज नाम से बिस्कुट बनाने लग गई और उन्होंने गब्बर सिंह को एड करने के लिए ले लिया। इसके बाद Parle कंपनी ने सोचा कि ग्लूकोज बिस्कुट को सबसे पहले हमने बनाया, प्रोडक्ट हमारा है, आविष्कार हमारा है और इसके नाम से कई लोग कमाई कर रहे है और आम जनता को पता ही नहीं की किसका क्या है। इसके बाद 1985 में Parle कंपनी ने अपना नाम बदलकर Parle-G कर दिया और Glucose को हमेशा के लिए हटा दिया।
Parle-G बिस्कुट का प्राइस अब तक क्यों नहीं बढ़ा है ?
प्राइस न बढ़ाने के पीछे कंपनी की 2 स्ट्रेटजी है।
स्ट्रेटजी-1 एक से अधिक प्रोडक्ट लांच करो
सबसे पहले तरीका है कि अपने कस्टमर बढ़ाते जाओ जो कि सब लोग करते हैं लेकिन इसका एक लिमिटेशन होता है। दूसरा तरीका होता है की प्राइस बढ़ा दो लेकिन Parle-G ने तो कसम खा रखी है की प्राइस तो नहीं बढ़ाएंगे। तीसरा तरीका होता है कि एक प्रोडक्ट के साथ-साथ अनेक प्रोडक्ट बना दो। इसके लिए पार्ले कंपनी ने मीठे बिस्कुट के साथ-साथ Salt बिस्किट (Monaco) लॉन्च कर दिया। कई लोगों को मीठा भी नहीं चाहिए खारा भी नहीं चाहिए तो उनके लिए बीच वाला Krackjack बिस्कुट लॉन्च कर दिया।
कई लोगों को काजू वाला बिस्कुट चाहिए तो उनके लिए 20-20 बिस्किट लॉन्च कर दिया। कई लोगों को सस्ते बिस्कुट की जगह प्रीमियम क्लास वाले बिस्किट चाहिए तो उनके लिए Hide and Seek बिस्किट लॉन्च कर दिया। कई लोगों को बिस्किट के बीच में चॉकलेट वाला पसंद है तो उनके लिए ‘Hide and Seek platina’ बिस्किट लॉन्च कर दिया। इसके अलावा Kismi, poppins, Melody Chocolate और Mango Bite भी पारले-जी के ही प्रोडक्ट है। इसके अलावा पारले जी के आटा, दाल और चोकोस भी मार्केट में आने लग गए हैं।
इस कंपनी का जो मैंन प्रोडक्ट Parle-G बिस्कुट है। एक ड्राइवर प्रोडक्ट है जो की मार्जिन नहीं देता है यह ड्राइविंग का काम करता है यानी की कंपनी सबसे पहले Parle-G बिस्किट को सस्ते में मार्केट में उतरती है फिर उसकी अच्छी क्वालिटी और कम पैसों की ब्रांड बनती है उसके बाद उसके नाम से अन्य प्रोडक्ट लोग आसानी से खरीद लेते हैं। पारले-जी कंपनी अपने अन्य प्रोडक्ट्स में अधिक मार्जिन रखती है और उससे कमाती है।
स्ट्रेटजी-2 दाम मत बढ़ाओ वजन घटा दो
यह पार्ले कंपनी की मैन स्ट्रेटजी है इसमें प्रोडक्ट की प्राइस नहीं बढ़ाई जाती है बल्कि प्रोडक्ट की क्वांटिटी को कम करते जाते हैं। 1994 में पारले-जी की बिस्कुट में पैकेट में 10 बिस्किट आते थे यानी की 4 रुपए में 100 ग्राम बिस्कुट दिया जाता था लेकिन अब उसी पैकेट में 5 बिस्किट दिए जाते हैं जिनका वजन 55 ग्राम होता है। यदि कंपनी पैकेट में बिस्कुट कम नहीं करती तो पारले-जी बिस्कुट की वर्तमान में कीमत ₹9 हो जाती।